आर्यों की मूल भूमि है अजर्बैज़ान
बाकू के मन्दिर में मिली नटराज की प्रतिमा |
बाकू के आतिश टेम्पल में निर्मित अग्निकुण्ड में स्थित हजारों वर्ष प्राचीन अखण्ड अग्नि |
Baku, Azerbaijan
https://maps.app.goo.gl/31Vc4i72H8ePC4UG8
सूर्य वंशी राजा इक्ष्वाकु के वंश में उत्पन्न एक दुराचारी राजा! अपने छोटे भाई हर्यश्व और उनकी पत्नी मधुमति को अपने राज्य (बाकु) से निकाल दिया था। तब वे वनों में भटकते हुए पूरब के देश सौराष्ट्र की ओर चले गए थे। वहाँ के इन्द्र! दानव राज मधु थे। जब वन में भटकते हुए बहुत समय बीत गया तब उनकी पत्नी ने हर्यश्व को समझाते हुए कहा था - "इस तरह श्रीहीन होकर वन-वन भटकने के बजाए मेरे माता-पिता के पास चल कर मदद माँगना चाहिए। इस तरह कब तक अपनी सच्चाई छुपाते रहेंगे? लेकिन हर्यश्व ने अपने कुल को बदनामी से बचाने के साथ-साथ ससुराल वालों की दया पर जीने से भी इंकार करते हुए अपनी पत्नी को अपने पितृलोक में जाने की अनुमति दे दिये थे। लेकिन दानवेन्द्र मधु की बेटी ने यह कहते हुए अपने पिता के पास जाने से इंकार कर दिया था कि स्त्री अपने जीवन में एक ही पुरुष की कामना करती है। मैं तो विवाह करके आपकी अर्धाङ्गिनी बन गयी हूँ, तब मैं आपके बिना अपने आधे अङ्ग के द्वारा कैसे जी सकुंगी? इस तरह समझा-बुझा कर दानवी मधुमती अपने पति के साथ आभीरों के देश सौराष्ट्र में लौट कर अपने माता-पिता को आपबीती सुना दी। तब दयालु स्वभाव के दानवेन्द्र मधु! अपने राज्य का आधा भाग जो गिरनार और रैवतक पर्वत से घिरा हुआ था अपनी बेटी को सौंप कर तथा अपने लिये मधुवन को रखकर शेष सम्पूर्ण राज्य का राजा हर्यश्व को बना दिए और अपने बेटे लवण को उनकी सेवा में नियुक्त कर के स्वयं मधुवन में जाकर रहने लगे थे।
राजा हर्यश्व ने अपने राज्य को नये निर्माण से इतना सजाया की वह अपने सुन्दरता के कारण दूर-दूर तक सुराष्ट्र के नाम से जाना जाने लगा। जो कालान्तर में सौराष्ट्र के नाम से भी विख्यात हुआ। इसी सौराष्ट्र के निवासी पूरी दुनियां की जानकारी रखने वाले कौशिक गोत्रीय ब्राह्मणों के साथ व्यापार करने के लिए इक्ष्वाकु और हर्यश्व नामक अपने पूर्वजों की जन्मभूमि पर जब भी आते थे इसी स्थान पर विश्राम करते तथा सभी देवी-देवताओं में श्रेष्ठ माने जाने वाले कौशिक विश्वामित्र भगवान के पुत्र अग्निदेव की शान्ति और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते थे।
सौराष्ट्रियन व्यापारियों के द्वारा निर्मित बाकु का यह आरामगाह और इस आरामगाह में ही निर्मित अग्निदेव का मन्दिर जिसे वहां के स्थानीय लोग Ateshgah temple कहते हैं, दो राष्ट्रों के संस्कृतियों का संगम स्थल है। यकीनन यह इस्लाम और क्रिश्चियनिटी धर्म के अभ्युदय के पूर्व की संस्कृतियों के लोगों के अनुपम प्रेम और विश्वास का ऐतिहासिक स्मारक है।
देखें बाकु में स्थित वह आरामगाह :
ATESHGAH TEMPEL
Baku, Azerbaijan
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Historical temple of Baku, Azerbaijan :
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BAKU, AZERBAIJAN
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